विमर्श और परामर्श

Price: 899.00 INR

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Disclaimer :You will be redirected to a third party website.The sole responsibility of supplies, condition of the product, availability of stock, date of delivery, mode of payment will be as promised by the said third party only. Prices and specifications may vary from the OUP India site.

ISBN:

9780199493845

Publication date:

11/12/2022

Paperback

448 pages

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9780199493845

Publication date:

11/12/2022

Paperback

448 pages

वाई.वी. रेड्डी

विमर्श और परामर्श एक ऐसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के जीवन की कहानी है जो देश
के आर्थिक विकास और उनके जीवन को एक साथ पेश करती है। यह किताब
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के जीवन और कर्म दोनों को एक
साथ प्रस्तुत करती है। रेड्डी भारतीय प्रशासनिक सेवा में कई महत्त्वपूर्ण पदों पर 
रहे हैं। उन्होनें इस किताब में अपने प्रशासनिक कार्यकाल के तजुर्बे को विस्तार
से लिखा है। सरकार की आर्थिक नीतियाँ किस तरह से बनती और कैसे आकार
लेती हैं उसे यहाँ देखा और समझा जा सकता है। रेड्डी ने देश के नामचीन लोगों के
साथ काम किया और सबके साथ उनके अनभुव भी अलग-अलग रहे, जिसे इस
किताब में उन्होनें रोचक ढंग से पेश किया है।
इस किताब के जरिए हम देश में आर्थिक बदलाव के उस दौर को देख सकते हैं
जब उदारीकरण की घोषणा हो चकी थी। किताब के शब्दों से गजरते हए हम
नई सदी के शरुआती आर्थिक स्थिति का आकलन कर सकते हैं, जब भारत की अर्थव्यवस्था बदल रही थी और पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई थी।
भारत के आर्थिक उभार और राजनीतिक हस्तक्षेप को समझने के लिए यह एक
रोचक और महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।

वाई.वी. रेड्डी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और भारतीय प्रशासनिक सेवा
के महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।

नीलम भट्ट, पिछले दो दशकों से प्रकाशन जगत से अनवुादक, संपादक और
लेखक के रूप में जुडी रही हैं।

सुबोध मिश्र, पिछले तीन दशकों से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेखक,
अनवुादक और निर्माता-निर्देशक के रूप में जुड़े रहे हैं।

Rights:  World Rights

वाई.वी. रेड्डी

Description

विमर्श और परामर्श एक ऐसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के जीवन की कहानी है जो देश
के आर्थिक विकास और उनके जीवन को एक साथ पेश करती है। यह किताब
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के जीवन और कर्म दोनों को एक
साथ प्रस्तुत करती है। रेड्डी भारतीय प्रशासनिक सेवा में कई महत्त्वपूर्ण पदों पर 
रहे हैं। उन्होनें इस किताब में अपने प्रशासनिक कार्यकाल के तजुर्बे को विस्तार
से लिखा है। सरकार की आर्थिक नीतियाँ किस तरह से बनती और कैसे आकार
लेती हैं उसे यहाँ देखा और समझा जा सकता है। रेड्डी ने देश के नामचीन लोगों के
साथ काम किया और सबके साथ उनके अनभुव भी अलग-अलग रहे, जिसे इस
किताब में उन्होनें रोचक ढंग से पेश किया है।
इस किताब के जरिए हम देश में आर्थिक बदलाव के उस दौर को देख सकते हैं
जब उदारीकरण की घोषणा हो चकी थी। किताब के शब्दों से गजरते हए हम
नई सदी के शरुआती आर्थिक स्थिति का आकलन कर सकते हैं, जब भारत की अर्थव्यवस्था बदल रही थी और पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई थी।
भारत के आर्थिक उभार और राजनीतिक हस्तक्षेप को समझने के लिए यह एक
रोचक और महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।

वाई.वी. रेड्डी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और भारतीय प्रशासनिक सेवा
के महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।

नीलम भट्ट, पिछले दो दशकों से प्रकाशन जगत से अनवुादक, संपादक और
लेखक के रूप में जुडी रही हैं।

सुबोध मिश्र, पिछले तीन दशकों से प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेखक,
अनवुादक और निर्माता-निर्देशक के रूप में जुड़े रहे हैं।

वाई.वी. रेड्डी

Table of contents

चुनिंदा समीक्षाएँ ii
अनुवादकों की क़लम से ix
आभार xi
पुस्तक परिचय xv
1. मेरी दुनिया 1
2. नौकरशाही तक का सफ़र 15
3. अफ़सर बनने का सफ़र 25
4. ज़मीनी हक़ीक़त 31
5. कामकाज, पढ़ाई और शादी 40
6. काम कराने की कला 49
7. आपातकाल 62
8. वैश्विक परिप्रेक्ष्‍य 73
9. एन.टी.आर. के साथ काम 82
10. नीति और व्‍यवहार का पुनर्ज्ञान 98
11. सोने की शक्ति 104
12. वित्त मंत्री के करीबी लोग 119
13. तमाशे दुनिया के 134
14. बदलती तस्वीर 144
15. रंगराजन युग 155
16. जालान ने संकट को संभाला 170
17. टीम वर्क 187
viii विषय सूची
18. मध्‍यांतर 200
19. परिप्रेक्ष्‍य में केंद्रीय बैंक 207
20. हित और ब्याज दरें 219
21. रूपए की समस्या 238
22. वित्तीय व्यवस्था 258
23. वित्त और आम आदमी 276
24. हमारी टीमें 288
25. एक सज्‍जन और राजनेता 299
26. चिदंबरम के साथ काम 313
27. रचनात्मक तनाव 324
28. सोचो कुछ, होगा कुछ और 341
29. दिशा-परिवर्तन 345
संदर्भ-नोट 357
अनुक्रम 413
परिचय 423

वाई.वी. रेड्डी

वाई.वी. रेड्डी

वाई.वी. रेड्डी

Description

विमर्श और परामर्श एक ऐसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के जीवन की कहानी है जो देश
के आर्थिक विकास और उनके जीवन को एक साथ पेश करती है। यह किताब
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के जीवन और कर्म दोनों को एक
साथ प्रस्तुत करती है। रेड्डी भारतीय प्रशासनिक सेवा में कई महत्त्वपूर्ण पदों पर 
रहे हैं। उन्होनें इस किताब में अपने प्रशासनिक कार्यकाल के तजुर्बे को विस्तार
से लिखा है। सरकार की आर्थिक नीतियाँ किस तरह से बनती और कैसे आकार
लेती हैं उसे यहाँ देखा और समझा जा सकता है। रेड्डी ने देश के नामचीन लोगों के
साथ काम किया और सबके साथ उनके अनभुव भी अलग-अलग रहे, जिसे इस
किताब में उन्होनें रोचक ढंग से पेश किया है।
इस किताब के जरिए हम देश में आर्थिक बदलाव के उस दौर को देख सकते हैं
जब उदारीकरण की घोषणा हो चकी थी। किताब के शब्दों से गजरते हए हम
नई सदी के शरुआती आर्थिक स्थिति का आकलन कर सकते हैं, जब भारत की अर्थव्यवस्था बदल रही थी और पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई थी।
भारत के आर्थिक उभार और राजनीतिक हस्तक्षेप को समझने के लिए यह एक
रोचक और महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।

वाई.वी. रेड्डी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और भारतीय प्रशासनिक सेवा
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अनवुादक और निर्माता-निर्देशक के रूप में जुड़े रहे हैं।

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Table of contents

चुनिंदा समीक्षाएँ ii
अनुवादकों की क़लम से ix
आभार xi
पुस्तक परिचय xv
1. मेरी दुनिया 1
2. नौकरशाही तक का सफ़र 15
3. अफ़सर बनने का सफ़र 25
4. ज़मीनी हक़ीक़त 31
5. कामकाज, पढ़ाई और शादी 40
6. काम कराने की कला 49
7. आपातकाल 62
8. वैश्विक परिप्रेक्ष्‍य 73
9. एन.टी.आर. के साथ काम 82
10. नीति और व्‍यवहार का पुनर्ज्ञान 98
11. सोने की शक्ति 104
12. वित्त मंत्री के करीबी लोग 119
13. तमाशे दुनिया के 134
14. बदलती तस्वीर 144
15. रंगराजन युग 155
16. जालान ने संकट को संभाला 170
17. टीम वर्क 187
viii विषय सूची
18. मध्‍यांतर 200
19. परिप्रेक्ष्‍य में केंद्रीय बैंक 207
20. हित और ब्याज दरें 219
21. रूपए की समस्या 238
22. वित्तीय व्यवस्था 258
23. वित्त और आम आदमी 276
24. हमारी टीमें 288
25. एक सज्‍जन और राजनेता 299
26. चिदंबरम के साथ काम 313
27. रचनात्मक तनाव 324
28. सोचो कुछ, होगा कुछ और 341
29. दिशा-परिवर्तन 345
संदर्भ-नोट 357
अनुक्रम 413
परिचय 423

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