भारतीय गणतंत्र का अभ्युदय

Price: 575.00 INR

We sell our titles through other companies
Disclaimer :You will be redirected to a third party website.The sole responsibility of supplies, condition of the product, availability of stock, date of delivery, mode of payment will be as promised by the said third party only. Prices and specifications may vary from the OUP India site.

ISBN:

9780190131562

Publication date:

04/02/2022

Paperback

208 pages

Price: 575.00 INR

We sell our titles through other companies
Disclaimer :You will be redirected to a third party website.The sole responsibility of supplies, condition of the product, availability of stock, date of delivery, mode of payment will be as promised by the said third party only. Prices and specifications may vary from the OUP India site.

ISBN:

9780190131562

Publication date:

04/02/2022

Paperback

208 pages

Gyanesh Kudaisya and Avadhesh Tripathi

Rights:  Indian Territory Rights (No Agent)

Gyanesh Kudaisya and Avadhesh Tripathi

Description

यह पुस्तक आज़ादी के बाद के दशक के घटनाक्रमों का एक संतुलित और आलोचनात्‍मक विवरण पेश करती है। पुस्तक, स्‍वतंत्र भारत के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों को सामने रखते हुए उन वर्षों में आये राजनीतिक विचारों, प्रक्रियाओं और चुने हुए रास्‍तों पर रोशनी डालती है।

इस पुस्‍तक के जरिए हम यह समझ सकते हैं कि भारत, विभाजन की असमाप्‍त प्रक्रिया से कैसे उबरा, राजनीतिक मानचित्र के पुनर्निर्माण की रूपरेखा किस तरह तैयार की गई, लोकतांत्रिक संस्‍थाओं ने अपना सफर कैसे शुरू किया और धारा 370 के जरिये कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा क्‍यों और कैसे मिला। साथ ही हम उन बहसों को भी यहाँ देख सकते हैं जिसमें धर्मनिरपेक्ष भारत बनाम ‘हिंदू राष्‍ट्र' पर चर्चायें हुईं, नागरिकता कानून बनाने के मुद्दे सामने आये, हिंदी भाषा को विवादों के बाद राजभाषा का दर्जा मिला और आर्थिक आत्‍मनिर्भरता की महत्‍वाकांक्षा को अंजाम देने के लिए योजना आयोग किस तरह बनाया गया।

यह किताब प्रामाणिक ऐतिहासिक सामग्री के गहन शोध के बाद रचनात्‍मक ढंग से लिखी गयी है। यह उन सभी पाठकों को आकर्षित करेगी जो आज़ादी के बाद के भारत के निर्माण की प्रक्रिया में रुचि रखते हैं।

ज्ञानेश कुदेसिया नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में एसोसिएट प्रोफेसर व समकालीन भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ हैं।

अवधेश त्रिपाठी हिंदी के आलोचक, अनुवादक और प्राध्‍यापक हैं।

Gyanesh Kudaisya and Avadhesh Tripathi

Gyanesh Kudaisya and Avadhesh Tripathi

Gyanesh Kudaisya and Avadhesh Tripathi

Gyanesh Kudaisya and Avadhesh Tripathi

Description

यह पुस्तक आज़ादी के बाद के दशक के घटनाक्रमों का एक संतुलित और आलोचनात्‍मक विवरण पेश करती है। पुस्तक, स्‍वतंत्र भारत के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियों को सामने रखते हुए उन वर्षों में आये राजनीतिक विचारों, प्रक्रियाओं और चुने हुए रास्‍तों पर रोशनी डालती है।

इस पुस्‍तक के जरिए हम यह समझ सकते हैं कि भारत, विभाजन की असमाप्‍त प्रक्रिया से कैसे उबरा, राजनीतिक मानचित्र के पुनर्निर्माण की रूपरेखा किस तरह तैयार की गई, लोकतांत्रिक संस्‍थाओं ने अपना सफर कैसे शुरू किया और धारा 370 के जरिये कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा क्‍यों और कैसे मिला। साथ ही हम उन बहसों को भी यहाँ देख सकते हैं जिसमें धर्मनिरपेक्ष भारत बनाम ‘हिंदू राष्‍ट्र' पर चर्चायें हुईं, नागरिकता कानून बनाने के मुद्दे सामने आये, हिंदी भाषा को विवादों के बाद राजभाषा का दर्जा मिला और आर्थिक आत्‍मनिर्भरता की महत्‍वाकांक्षा को अंजाम देने के लिए योजना आयोग किस तरह बनाया गया।

यह किताब प्रामाणिक ऐतिहासिक सामग्री के गहन शोध के बाद रचनात्‍मक ढंग से लिखी गयी है। यह उन सभी पाठकों को आकर्षित करेगी जो आज़ादी के बाद के भारत के निर्माण की प्रक्रिया में रुचि रखते हैं।

ज्ञानेश कुदेसिया नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में एसोसिएट प्रोफेसर व समकालीन भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ हैं।

अवधेश त्रिपाठी हिंदी के आलोचक, अनुवादक और प्राध्‍यापक हैं।

Read More